यार विकी , अपना नाम रख ले लकी । कहने के लिए तो होगा । वरना तुझे पता है एक्टर होना कितनी बड़ी खता है । बाबू जी ने मोबाइल पर पूछा ,क्या कर रहे हो मैंने कहा वेटिंग फॉर गोदो । गुस्सा होकर कहने लगे दलते रहो कोदो। नहीं कुछ कर रहे तो वापस आ जाओ गांव में जमीन है उसे ही जोतो । कब तक पड़े पड़े सड़ते रहोगे।छोटे से रोल के लिए मरते रहोगे। आंख के अंधे हो नाम है नयन तारा। यहां तो बुर्जुआ थे ,वहां बन गए सर्वहारा ।
जबसे होश संभाला है मुझे पिताजी के इतना करीब रहने का मौका कभी नही मिला जितना कि पिछले पांच छः महीने से मिला है। वैसे भी हमारा रिश्ता साजन फ़िल्म के कादर खान और सलमान भाई वाला बिल्कुल नही है। शेर के सामने बकरी वाला है। पर जबसे कोरोना का संकट आया है वो काफी पोजेटिव रहते हैं और मेरे कहानी में दिलचस्पी को देखते हुए प्रोटोकॉल तोड़कर रोज कुछ न कुछ सुनाते रहते हैं । कभी मुहावरा फेंक देते हैं तो कभी इमरजेंसी के किस्से सुनाने लगते है। बेचारे करे भी तो क्या बंद कमरे में और तो कोई मिल नही रहा जिससे वो कुछ बतिया सके। मेरे साथ उन्हें भी कैद मिल गई है । दीवाली के बाद किसी कारण से घर गया था वापसी में मम्मी पापा भी आ गए और तब से यहां फंसे हुए हैं । रोज शाम को पापा जी पुराने किस्से सुनाते रहते है। कभी सिमरिया में गंगा पर राजेंद्र पल बनने की कहानी कि जब नेहरू जी पुल का उद्घाटन करने आये थे तब कैसी भगदड़ मची थी और कितने लोग उस भीषण गर्मी में पानी के बिना मर गए थे । इतनी भीड़ थी कि पानी ब्लैक में बिक रहा था फिर पुल बनने का दुष्परिणाम- गंगा की धार मुड़ गई थी और रास्ता छोड़ दिया था , सरकार ने उस बारे मे
शुभकामनाएँ कि सफल हों!!
ReplyDeleteएक विनम्र अपील:
कृपया किसी के प्रति कोई गलत धारणा न बनायें.
शायद लेखक की कुछ मजबूरियाँ होंगी, उन्हें क्षमा करते हुए अपने आसपास इस वजह से उठ रहे विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.
हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.
-समीर लाल ’समीर’
गांव में जमीन है उसे ही जोतो ।
ReplyDeleteउत्तम!