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अपनी डफ़ली

बहुत दिनों से अपनी बात कहने का मंच तलाश रहा था, लगता है वो तलाश अब पूरी हुई इसके लिये ब्लॉग विमल भाई के सहयोग से खुल गया है ,कहने को बहुत कुछ है मगर एक एक बात कहूंगा आप चिन्ता मत करो। सुन सुन कर परेशान ही हो जाओगे अपना सर ही पीटोगे,अब तो भेजा फ़्राई नहीं अब तो भेजा क्राई होगा। एक नये ब्लॉग के जन्म से विश्व भानू का भी जन्म हो जाय जो फ़्रिज़ में रखे चने की तरह सुषुप्तावस्था में था
नशे में था  आशा तृष्णा लोभ मोह धर्म विचार स्वतंत्रता संस्कृति
इन्ही विचारो पर विचार करता विचलित होकर सो गया था धक्का लगा था हर धक्का दूर तक धकेल देता था । साहिर ने कहा कि दुनिया ने तजुरबातो हवादिस की शक्ल में जो कुछ मुझे दिया है लौटा रहा हूँ मैं। लगा कि लौटाने का वक्त आ गया तो हाज़िर हूँ लौटाने के लिए ।

Comments

  1. बढ़िया है भाई! तय है कि अपनी डफली का अपना राग भी होगा.

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