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अपनी डफ़ली

बहुत दिनों से अपनी बात कहने का मंच तलाश रहा था, लगता है वो तलाश अब पूरी हुई इसके लिये ब्लॉग विमल भाई के सहयोग से खुल गया है ,कहने को बहुत कुछ है मगर एक एक बात कहूंगा आप चिन्ता मत करो। सुन सुन कर परेशान ही हो जाओगे अपना सर ही पीटोगे,अब तो भेजा फ़्राई नहीं अब तो भेजा क्राई होगा। एक नये ब्लॉग के जन्म से विश्व भानू का भी जन्म हो जाय जो फ़्रिज़ में रखे चने की तरह सुषुप्तावस्था में था
नशे में था  आशा तृष्णा लोभ मोह धर्म विचार स्वतंत्रता संस्कृति
इन्ही विचारो पर विचार करता विचलित होकर सो गया था धक्का लगा था हर धक्का दूर तक धकेल देता था । साहिर ने कहा कि दुनिया ने तजुरबातो हवादिस की शक्ल में जो कुछ मुझे दिया है लौटा रहा हूँ मैं। लगा कि लौटाने का वक्त आ गया तो हाज़िर हूँ लौटाने के लिए ।

Comments

  1. बढ़िया है भाई! तय है कि अपनी डफली का अपना राग भी होगा.

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आपबीती

हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था. मेरी हड्डी वहाँ टूटी, जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.  मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला, उसका पेट्रोल ख़त्म था. मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया, क्योंकि उसका किराया कम था. मुझे डॉक्टरोंने उठाया, नर्सों में कहाँ दम था.  मुझे जिस बेड पर लेटाया, उसके नीचे बम था. मुझे तो बम से उड़ाया, गोली में कहाँ दम था.  मुझे सड़क में दफनाया क्योंकि कब्रिस्तान में  जश्न था।  हिजडे़ वो नहीं जो साडी़ पहनकर ताली बजाते घूमते रहते है ,  हिजडे़ वो है जो सरकार के पक्षपाती  गलत निर्णय का विरोध करने के बजाय ताली बजाते है ।  नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना, अगर काम पड़े तो याद करना, मुझे तो आदत है आपको याद करने की, अगर हिचकी आए तो माफ़ करना....... दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है  कभी दूर तो कभी क़रीब होते है।  दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है...... लड़की की हल्की सी मुस्कुराहट को प्यार का एहसास समझ लेते है ये वही लोग है साहेब,  जो शौचालय को विकास समझ लेते है। ...

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