Skip to main content

एक महान तानाशाह

क्षमा करना मैं शहंशाह  नहीं बनना चाहता !
मेरी कार्य तत्परता इसमें नहीं है।




ना मैं किसी पर हुकूमत करना चाहता हूं ना किसी को जीतना मेरी नीयत हर किसी की हर संभव मदद करना है
यहूदी, गैर मज़हबी,द्रविड़, आर्य।
हम सभी एक दूसरे की मदद करना चाहते हैं
इंसान होते ही ऐसे हैं 
हम सभी एक दूसरे की खुशियों में खुश होना चाहते हैं
 ना कि एक दूसरे की मुसीबतों में खुश होना।
 हम एक दूसरे से द्वेष और घृणा करना नहीं चाहते।
 इस दुनिया में सभी के लिए गुंजाइश है और यह धरती इतनी उर्वर है की सभी के लिए सभी कुछ उपलब्ध कर सकती है जिंदगी एक स्वतंत्र और खूबसूरत तरीके से चल सकती है पर हम पथभ्रष्ट हो चुके हैं लोभ ने हमारी आत्मा में जहर भर दिया है इंसानी नफरतों ने दुनिया का बंटवारा कांटेदार  तारों से किया है । फौजी कार्रवाइयों ने हमे रक्तपात के दलदल में फंसा कर हमारी दुर्गति कर दी है .
हमने विकास की  रफ्तार  अंधाधुंध बढ़ा ली है
पर स्वयं  अटक गए हैं ।
मालदार बनाने वाली मशीनों ने
हमें असंतोष से भर दिया है।
समझदारी ने हमें विवेकहीन बना दिया है
और होशियारी ने क्रूर और निर्मम।
हम सोचते  बहुत ज्यादा हैं
और महसूसते बहुत कम हैं ।
यांत्रिकता से ज्यादा
हमें जीवंतता की जरूरत है।
निपुणता से ज्यादा उदारता
और शिष्टता की जरूरत है ।
इन विशेषताओं के बगैर जिंदगी
एक तांडव बनकर रह जायेगी
और सर्वनाश हो जाएगा ।
रेडियो  और वायुयान 
हमें एक दूसरे के काफी करीब लाए हैं 
इन उपलब्धियों की  प्रकृति
 इंसानों से ज्यादा इंसानी उत्कृष्टता
 को पुकारती है ।
 हम सबकी एकजुटता के लिये
 विश्व बंधुत्व की भावना 
और उन एकता मूलक सूत्रों को पुकारती है।
 इस  वक्त भी 
मेरी आवाज दुनिया के असंख्य लोगों तक पहुंच रही होगी ।
 उन लाखों करोड़ों हताश निराश 
आदमियों औरतों और छोटे बच्चों तक 
जो एक  ऐसे भयानक तंत्र के शिकार हैं 
जहां निर्दोषों को यातनाए मिलती है
 और मासूमों को कैद। 
जिन लोगों तक मेरी आवाज पहुंच रही है
 मैं उनसे कहता हूं- निराश मत हो। 
जो आफत आज  उन  पर आई है
  वो लोभ-लालच का, उस आदमी की हिक़ारत और नफरत का नतीजा है। जो इंसानी तरक्की से खौफज़दा है
 तानाशाहों की नफरत हार जाएगी 
 उनके ताज़ ज़मींदोज़ हो जाएंगे।
तानाशाह खाक में मिल जाएंगे। 
 जो सत्ता इन्होंने अवाम से छीनी है वो  वापस अवाम को मिल जाएगी ।जब तक लोग मारे जाते रहेंगे 
आजादी कभी  नही मरेगी। 
 सिपाहियो अपने आप को इन हैवानो के हवाले मत करो जो तुमसे हिक़ारत करते हैं तुमसे नफरत करते हैं तुम्हें गुलामी की ज़िंदगी देते है। तुम्हारी जिंदगी के फैसले लेते हैं जो तुम्हें बताते हैं कि क्या करना चाहिए क्या सोचना चाहिए और क्या महसूस करना चाहिए । तुम्हे कठोर नियम कानून  में पीस देते हैं । तुम्हारा खाना-पीना तय करते हैं। जो तुम्हारे साथ जानवरों जैसा सलूक करते हैं जो तुम्हें तोप के गोलों के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।
       *Don't give yourselves to these unnatural men - machine men with machine minds and machine hearts!
You are not machines!
You are not cattle!
You are men!
You have the love of humanity in your hearts!
You don't hate!
Only the unloved hate - the unloved and the unnatural!
Soldiers!
Don't fight for slavery!
Fight for liberty!
 अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनम द्वयम
परोपकाराय पुण्याय पापाय परपीड़नम।
In the 17th Chapter of St Luke it is written: "the Kingdom of God is within man" - not one man nor a group of men, but in all men!
In you!
You, the people have the power - the power to create machines
The power to create happiness!
You, the people, have the power to make this life free and beautiful, to make this life a wonderful adventure
Then - in the name of democracy - let us use that power - let us all unite
Let us fight for a new world - a decent world that will give men a chance to work - that will give youth a future and old age a security
By the promise of these things, brutes have risen to power
But they lie!
They do not fulfil that promise
They never will!
Dictators free themselves but they enslave the people!
Now let us fight to fulfil that promise!
Let us fight to free the world - to do away with national barriers - to do away with greed, with hate and intolerance
Let us fight for a world of reason, a world where science and progress will lead to all men's happiness
Soldiers!
In the name of democracy, let us all unite.*

 *तुम मशीन नहीं हो तुम जानवर नहीं हो तुम इंसान हो तुम्हारे दिल इंसानियत और मोहब्बत से लबरेज हैं   तुम नफरत नहीं करते नफरत सिर्फ वे लोग करते हैं  जिसको किसी ने प्यार नही किया ।बेमुहब्बत और  बनावटी।

 सिपाहियों गुलामी के लिए मत लड़ो। आजादी के लिए लड़ो, खुद मुख्तारी के लिए लड़ो ।सेंट ल्यूक के सत्रहवें  भाग में  लिखा है कि ईश्वर का निवास इंसानो के अंदर है एक इंसान या इंसानों के एक जमात में नहीं बल्कि सारे इंसान में, तुममे, तुम सबमें। तुम जो अवाम हो तुम्हारे पास ताकत है मशीनों को पैदा करने की ताक़त सुख को पैदा करने की ताक़त, तुम जो अवाम हो  तुम्हारे पास इस जिंदगी को खूबसूरत और आजाद बनाने की ताकत है इस जिंदगी को हैरतअंगेज खूबियों वाली मुहिम बनाने की ताकत है और तब जम्हूरियत के नाम पर आओ इस ताकत का इस्तेमाल करें  और आओ हम सब एक हो जाएं आओ हम एक नई दुनिया के लिए लड़े एक शाइस्ता दुनिया जहां सारे इंसानों को काम करने का मौका मिले जो नौजवानों को  भविष्य और बुजुर्गो को हिफाज़त का भरोसा दे ।हैवान इन्हीं चीजों का वादा करके सत्ता पर काबिज हुए थे,लेकिन वह झूठ बोलते हैं वह वादा वफा नहीं करते वह कभी नहीं करेंगे 

तानाशाह खुद तो आजाद होते हैं, लेकिन बाकी लोगों को गुलाम बनाते हैं. आओ हम इन वादों को पूरा करवाने के लिए लड़ें.
क़ौमियत की सीमाओं को तोड़ने के लिए, लालच को ख़त्म करने के लिए, नफ़रत और कट्टरता को जड़ से मिटाने के लिए, दुनिया को आज़ाद कराने के लिए लड़ें। एक माकूल और मुकम्मिल दुनिया बनाने की लड़ाई लड़ें। एक ऐसी दुनिया - जहाँ विज्ञान और तरक़्क़ी सबकी ज़िन्दगी में ख़ुशहाली लाए।"

  आओ अब दुनिया को आज़ाद कराने की जंग लड़ें। कौमी सरहदों को मिटा दें, लालच को खत्म करने के लिए, नफरत और असहिष्णुता को जड़ से मिटाने के लिए, दुनिया को आजाद करा एक माकूल और मुकम्मिल दुनिया बनाने की लड़ाई लड़ें. एक ऐसी दुनिया जहाँ साइंस और तरक्की सबकी जिन्दगी की रहनुमाई करे 

सिपाहियो! आओ, लोकतंत्र के नाम पर हम सब एकजुट हो जायें!*

           हेरना मेरी जान क्या तुम मुझे सुन रही हो तुम जहां कहीं भी हो तुम ऊपर की ओर देखो, देखो ऊपर की तरफ। आफताब की शुआएँ नजर आएंगी। 
              हम तारीकी  से रोशनी की तरफ आए हैं। हम एक नई दुनिया में आ रहे हैं। एक रहम दिल दुनिया जहां इंसान अपनी लालच अपनी नफरत अपनी हैवानियत से ऊपर उठेगा ।
               ऊपर देखो हारना, देखो ऊपर की तरफ ।इंसान की रूह को पंख मिल गए हैं और आखिरकार उसने उड़ना शुरू कर दिया है वह उठकर इंद्रधनुष तक जा पहुंचा है। उम्मीद की किरणों में हारना मेरी जान देखो ,ऊपर की तरफ, ऊपर की तरफ देखो ।
----------------
*अंग्रेजी फ़िल्म "एक महान तानाशाह" { The Great dictator}में चार्ली चैप्लिन के भाषण  का मेरा 
नाट्य- रूपांतरण।

Comments

Popular posts from this blog

Waiting for quinowin

जबसे होश संभाला है मुझे  पिताजी के इतना करीब रहने का मौका कभी नही मिला जितना कि पिछले पांच छः महीने  से मिला है। वैसे भी हमारा रिश्ता साजन फ़िल्म के कादर खान और सलमान भाई वाला बिल्कुल नही है। शेर के सामने बकरी वाला  है। पर  जबसे कोरोना का संकट आया है वो काफी पोजेटिव रहते हैं और मेरे कहानी में दिलचस्पी को देखते हुए प्रोटोकॉल तोड़कर रोज कुछ न कुछ सुनाते रहते हैं । कभी मुहावरा फेंक देते हैं तो कभी इमरजेंसी के  किस्से सुनाने लगते है। बेचारे करे भी तो क्या बंद कमरे में और तो कोई मिल नही  रहा जिससे वो कुछ बतिया सके। मेरे साथ उन्हें भी कैद मिल गई है । दीवाली के बाद किसी कारण से घर गया था वापसी में मम्मी पापा भी आ गए और तब से यहां फंसे हुए हैं ।  रोज शाम को पापा जी पुराने किस्से सुनाते रहते है।    कभी सिमरिया में गंगा पर राजेंद्र पल बनने की कहानी कि जब नेहरू जी पुल का उद्घाटन करने आये थे तब कैसी भगदड़ मची थी और कितने लोग उस भीषण गर्मी में पानी के बिना मर गए थे ।  इतनी भीड़ थी कि पानी ब्लैक में बिक रहा था फिर पुल बनने का दुष्परिणाम-  गंगा की धार मुड़ गई थी और रास्ता छोड़ दिया था , सरकार ने उस बारे मे

व्यथा

लाइट्स,,,, कैमरा,,,,, ऐक्शन,,,, और वो शुरू हो जाता है.. कभी सोचा है ,,वो कलाकार जो टीवी के ज़रिए लोगों के ड्रॉइंग रूम.. बेडरूम,, यहां तक कि आपके  दिलों तक पहुंच जाते हैं... हंसते हुए.. गाते हुए.. नाचते हुए,  सबका मनोरंजन करते रहते हैं.. बिना थके.. बिना रुके.. बिना शिकायत करे..बिना नियम के,, दिन हो या रात लगातार शूटिंग करते हैं.. पर अब तो सब बंद है.. अब शूटिंग नहीं हो रही.. जानते हैं अब वो सब क्या कर रहे हैं,,? अब डर रहे हैं.. उनके चेहरे से हंसी गायब है.. गाने की हिम्मत नहीं हो रही.. पैर थिरकने की बजाए सुन्न पड़े हैं.. आगे क्या होगा.. ? ज़िंदा कैसे रहेंगे..? दूध का बिल.. महीने का राशन.. घर का किराया.. बिजली का बिल.. गैस का बिल.. बच्चों की फ़ीस...और भी ढेर सारी ज़िम्मेदारियों का क्या होगा ,,,? वो डरा हुआ है ,,,,क्यों,,,? क्यूंकि उसकी  भी एक सामान्य इंसान जैसी ज़रूरतें होती हैं..। आप कहेंगे कि डर कैसा.. शूटिंग शुरू होगी तो सब सामान्य हो जाएगा.. और लोगों के काम भी तो बंद हैं.. वो लोग भी अपने ऑफिस.. अपनी दुकान.. अपनी फैक्टरी खुलने का इंतजार कर रहे हैं.. जैसे ही सब खुलेगा.. काम शुरू होगा.. पै

क्वारंटाइन

आप इतनी बुजुर्ग हैं, इसके बाद भी आपने घर से चोरों को कैसे भगाया? दादी ने हंसते हुए कहा- ऐसा हुआ कि मैं नीचे हॉल में सोई थी। चोर खिड़की से घर में घुसे। उन्होंने मुझे लात मारकर उठाया। मैं उठी, लेकिन हड़बड़ाई नहीं। चोरों ने पूछा, माल कहां रखा है? तिजोरी किधर है? घर के बाकी मेंबर कहां सोएं हैं? मैंने बिना देर किए तुरंत कहा, सभी पैसा, जेवर लेकर खेत में बने फॉर्म हाउस में रहने गए हैं बेटा। मैं घर में अकेली हूं।  और हां, जाते समय साबुन से हाथ धोकर जाना। कोरोना होने के कारण मुझे यहां क्वारंटाइन किया गया है।