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घोस्ट राइटर


               शहरों में बारिश  त्योहार की तरह प्रवेश लेता है लोग उसका जश्न मनाते हैं । गर्मी खत्म हो जाती है हल्की हलकी बारिश होती रहती है ऐसे में शराब का लुत्फ मिल जाये तो ज़िन्दगी जन्नत हो जाती है। ऐसे समय मे ही वो यहां आया था ।
उसका परिवार दूर किसी गांव में रहता था । और उनसे उसका संपर्क लगभग टूट  गया था। वो बहुत कम बार अपने गांव गया था और उसकी स्मृतियां भी कोई खास सुखद नही थी।  पिता प्रॉपर्टी डीलिंग में बेशुमार पैसा कमाते थे। ये अपने पिता से कुछ भी पूछता तो वो पूछते कितने पैसे चाहिए बता दे बाकी सवालों का जवाब देने का मेरे पास वक्त नही है। और दारू या पैसे के नशे में मां की जबरदस्त पिटाई करते थे। उसकी मां बहुत खूबसूरत थी ।वो आठ दस साल का था जब उसके पिता जी मां को पीट रहे थे इसने दारू की बोतल से बाप का सर तोड़ दिया था और सारे पैसे फेंक कर देहरादून चला आया। फिर जब एक बार उसे मां की बहुत याद आई तो वो वापस अल्मोड़ा गया पर अपनी मां से मिल नही पाया
शायद पिता की पिटाई से वो चल बसी थी ।

उसने एकाकी जीवन जिया था ज़िंदा रहने के लिए उसे काफी संघर्ष और जद्दोजहद  से गुजरना पड़ा था ।  उसने अपनी पढ़ाई चाचा की मेहरबानियों पर की थी ।अच्छे  परिवार का होते हुए भी उसने काफी बदकिस्मती झेली थी शुरुआत से ही उसे सब कुछ खुद अर्जित करना पड़ा था।  उसे लगता था कि उसे प्यार करनेवाला कोई नही है और  वो बेमतलब जी रहा है । उसकी  हर क्रिया यंत्रवत होती थी और उस  काम मे उसकी दिलचस्पी है या नही समझना मुश्किल था । वो अपनी भावनाओ  का अब तक सिर्फ दमन करता आया था। इतना ज्यादा कि उसे अब जीने की  इच्छा नही  थी। उसे लगा कि मरने के बाद एक व्यक्ति है जो शायद दुखी होगा , इसलिए  वो एक बार उससे मिलने के लिए जिंदा रह रहा था।
कभी कभी वो  कविताओं में अपनी भावनाएं व्यक्त करता  था। मगर उसकी  कवितायें इतनी अस्पपष्ट थी कि कविताओं में छिपी भावनाओं को समझना हर किसी के लिए असंभव था। छिछले तौर पर वो अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति से बचता था। उसकी कविताएं काफी दुरूह थी और उससे साधारण मनुष्य को बोरियत हो जाती थी । 
 वो गीत भी ऐसे गाता जिसमे  सूरज चाँद मौसम ज़िन्दगी, अंधेरा सुबह रोशनी जैसे शब्द होते।उसे अपने अंदर ऐसा कुछ खास नही दिखता था कि एक साधारण व्यक्ति उसकी ओर आकर्षित हो । असाधारण व्यक्तियों से  अपनी तुलना से भी उसे कोई फर्क नही पड़ता था।  वो एक साधारण और प्राकृतिक तरह से जीना चाहता था।  बीच पर एक अंग्रेजन को देखकर उसे ख्याल आया जब वो देहरादून में कॉलेज में था उसने कोई जगह ढूंढने में एक फ़िरंगन की मदद की थी थैंक्यू के बदले उसने  लड़की को अपने साथ होटल ले जाने का बोला था लड़की ने उसे बोला कि वो उसके साथ जाने को तैयार है अगर वो उसे हंसा सके ।वो उसे हंसाने में अक्षम रहा था। वो सब कुछ भूल गया था जिससे किसी को हंसाया जाता है । लिखा भले ही उसने ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज के लिए भी था ।पर वो खुद भी कब हंसता था उसे पता नही।अपने वक्त पर वो गड़बड़ कर जाता था। 
वो  किसी से घुलने मिलने से बचता था।उसे समझ नही आता था कि वो किसी से क्या बात करे उसके पास बात करने वाले विषयो की कमी थी । कभी दूध या सब्जी लाने निकलता तो आत्मदया से भरा होता । कोई राह चलते उसका हालचाल पूछ ले तो उसकी हालत खराब हो जाती  और घबराहट में  वो कहां गया था कहाँ से आ रहा है और अपने स्वास्थय ठीक नही होने की बात बताने लगता था। । वो सामान्य बातचीत या पूछताछ के लिए तैयार नही कर पाता था। लड़कियों के आमंत्रण पर वो असहज हो जाता और बेवकूफो की तरह व्यवहार करने लगता ।
घर आकर वो एकदम परेशान हो जाता और  आईने के सामने खड़ा होकर जाने कितनी  देर चुपचाप देखता रहता।

। सामान्य वो सिर्फ आईने के सामने रह पाता था। या अपने चुनिंदा मित्रों के साथ।ज्यादातर समय उसका अपने कमरे में बीतता  कभी कभी वो यूँ ही  घूमने निकल जाता ।या जब   क्लब या किसी दारू के अड्डे पर निकल जाता और रात में बेसुध होकर ही घर पहुंचता। जब कभी वो अनजान लोगों के साथ कही  ज्यादा घुलमिलकर  खाता पीता  तो लौटते हुए उसकी जेब में पैसे नहीं होते ।कभी फोन गायब रहता कभी पर्स गायब रहता कई बार वह जब सुबह जगता तो अपने आप को किसी रेलवे स्टेशन पर पाता उसे बड़ा अचरज होता कि रात में तो वह दोस्तों के साथ था ना उसकी जेब में पैसे होते  न मोबाइल होता सिगरेट का पैकेट भी गायब हो जाता फिर वह किसी स्टेशन पर जाने वाले यात्रियों से दस बीस रुपये मांगकर अपने कमरे तक पहुंचता। उसको सारी गलती अपनी या शराब की लगती । इस प्रकार वो और उदासी से घिर जाता। 
वो दोस्त की फोन पर मिली सलाह पर  यहाँ  आया था । आंटी मैज़ी क्रियाडो के सांताक्रुज के पुराने मकान में रहते हुए उसका काफी समय बीत चुका था।  शो से अलग हो जाने के बाद ज्यादातर समय वो दीवार पर रेंगती छिपकलियो या   आंटी की बिल्ली की हरकतों को देखता रहता था।   अपने दोस्त के आने की प्रतीक्षा कर रहा था।  इसी टेंशन में उसकी गर्दन अकड़ गई। जब वो किसी चीज़ का बेसब्री से इंतज़ार करता था तो उसकी गर्दन अकड़ जाती थी । 

सुबह फोन कर वो शाम को पहुंच गया। जगह काफी खुली खुली और भीड़ भाड़ से परे थी। लगता था आप मुम्बई के बजाय किसी दूर दराज के कस्बे आ गए हों।  तेज बारिश हो रही थी ताला लगा था। भीगती हुई दो लड़कियां आई और वो एजेंट जो इसे एक्यूप्रेशर से ठीक करने वाला था के घर की चाबी देकर चली गयी। वो जब तक कपड़े बदल पाता चाय भी आ गई। लड़कियों ने उसका इतना स्वागत किया जितना कभी किसी ने नही किया था। उसे अपने ज़िंदा होने पर पहली बार इतनी खुशी हुई।  
   रह रह कर होती बारिश , खूबसूरत आज़ाद और उन्मुक्त  लड़कियाँ। बारिश में खिले आवारा फूल ।
मिट्टी की सोंधी महक । हरे भरे मैदान। एक्यूप्रेशर, और रम के इलाज से उनका गम कम हो गया और दर्द काफूरउसके अंदर एक ऊर्जा और उत्तेजना पैदा हुई। वो अपने अंदर हुए बदलाव से खुश था।  उसका हृदय प्रफुल्लित हो उठा ।  जगह उसे जंच गई।
 पटेल ने एक्यूप्रेशर देते हुए समझाकर बताया वैसे  तो इलाका  काफी बदनाम है बीयर बार  और जिस्म के धंधे और तमाम थ्रिल पैदा करने वाले काम यहां होते हैं। शाम होते ही लोगो की जुबान लड़खड़ाने लगती है।टैक्सी वाला पैसेंजर से भाड़ा वसूलने के बजाय जान बचाने की जुगत में लग जाता है । अगले दिन से वो उन्ही इलाको में घूमने लगा ।जहाँ उसे भी खतरा हो सकता था
बीयर बारो में चहल पहल रात भर रहती थी। ऑटो - -टैक्सियों, कॉफी वालो  के साथ ही   पूरा  इलाका गुंजायमान रहता।  आसपास बार मे काम करने वाली बहुत सी लड़कियां भी रहती थी ।  उसने उनके साथ अच्छा रिश्ता बना लिया था । और इस बिना पर पटेल और वो मुफ्त में  रोज दारू और मुर्गे का मज़ा लेता था। पटेल ने इन लड़कियों से डील करना उसे सिखा दिया था।  बार गर्ल्स अक्सर चार पांच बजे सुबह तक आती थी उनके आने पर काफी धमाचौकड़ी मचती। चाय ब्रेड नाश्ता पैसों का हिसाब , थैंक्यू टाटा , और रिश्तेदारियां निकालते दलाल देर तक जमे रहते और गुफ्तगू जारी रहती। 
 लड़कियाँ सब उसे पहचान गई थी और उसका खयाल रखती। उसे उन लड़कियों पर कविता लिखने का दिल करता।
शुरुआत में उसने सीरियल लेखन में बेतहाशा पैसा कमाया और जितना पैसा कमाया उससे कहीं ज्यादा खर्च भी कर दिया। पर एक बार प्रोडयूसर से अनबन हो गई वो झूठ मूठ की कहानियां लिखकर ऊब चुका था। फिलहाल  उसका काम ठप था।घोस्ट राइटिंग अभी भी उसे कुछ न कुछ दे देती था। उम्मीद उसकी बरकरार थी। 




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