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कोरोना



कोरोना वायरस

मेहरबान कदरदान साहिबान
चीन का मर्ज़,
यूरोप का सिरदर्द
इटली की बीमारी,
अमेरिका में महामारी,
फ्रांस में गिर रही लाशें,
स्पेन में रुक रही साँसे,
भारत में भी सुगबुगाहट
चेहरों पर  फैली  मृत मुस्कुराहट
बढ़ती ही जाती है

बढ़ती है वेदना।
कर्फ्यू की घोषणा
खत्म हर आज़ादी ।
वही- वही सूचना ।
प्लेन, बस  या ट्रेन
आना जाना  सब बैन

घर पर रहो कैद ।
बाहर निकलना अवैध ।

सड़के वीरान  । गालियां सुनसान
बंद हुए बाज़ार ,बंद सब दुकान
मंदिरो में ताले,  मस्जिदों में अज़ान।

मेहरबान, कदरदान, साहिबान,
 गौर फरमाइएगा--
कलाकार का कोई माई बाप नही होता
इनके मरने  से कोई पाप नही होता।
और जनता तो आपको पता ही है
मेहनत कश होती है-
पांच साल में एक बार वोट भी देती है।
देश के कंधों पर  बड़ा ही बोझ है।
सब कुछ फ्री मिले ऐसी इनकी सोच है।
देश के मुंह पर  पड़ा ये तमाचा है
फक्त दाम पाने को  कहाँ कहाँ नाचा है।
विकास के नारों पर जमी ये धूल है
मज़बूत इरादों के शव के फूल है । 
ये जीते जी मृतकों में शामिल हैं
इन्हें भी मौत विरासत में हासिल है।

और ये गरीब साले, हरामी, नाली के कीड़े
मना करने पर भी झोपड़ों से निकल पड़े ।
गाड़ी नही मिली तो पैदल ही चल पड़े।
पर मरे को मारना आसान भी नही
बेदम सी काया  में जान ही नही
हालांकि लाठिया बरसाई गई है।
अंग्रेजो की याद दिलाई गई है
स्वास्थ्य में गिरावट आती ही नही
इनके जीने की उम्मीद जाती ही नही
न पीते है पानी न खाते हैं खाना
ऐसा भी पैसा किसलिए कमाना ।
पलायन करती आबादी का भयंकर  रेलम पेल
मुर्दो की  मौत का अंतिम ये खेल ।
देखिए देखिए मुख्यमंत्री जी डरिएगा नही ।
 आप तो अमर हैं कभी मरियेगा नही।
सत्तर साल से यही तो मरती आई है।
आपके किये का यही तो भरती आई है।
इनके चेहरे को गौर से देखो।
पस्त होता स्वाभिमान
धुंधलाता अरमान
खाली करो मकान। 
उठाओ सब सामान ।
भागो भागो बचाओ जान।
कौआ लेकर भाग रहा तुम्हारे दोनो कान।

मेहरबान कदरदान साहिबान
मंत्री जी अगले चुनाव में नई जनता चुन लेंगे।
फायदे की फसल वो खुद ही बुन लेंगे।
दुनिया है  माया,मिट्टी की काया ।
आईने में दिखती कोरोना की छाया ।
परेशान लोग , दुर्लभ संयोग।
जनता स्तब्ध-  पीट रही थाली
बाकी बचे दे रहे मोदी को गाली ।।

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