Skip to main content

हैमलेट


जीना है या मरना है !
अब तय करना है!
शाबाशी किसमे है?

किस्मत के तीरों के आघातों को
भीतर -भीतर सहते जाना
या संकट के तूफानों से लोहा लेना
और विरोध करके  समाप्त  उनको कर देना,

और समाप्त खुद भी हो जाना?
मर जाना,
सो जाना,
और फिर कभी न जगना!

और सोकर मानो ये कहना,
सब सिरदर्दो और सब मुसीबतों से,
जो मानव के सिर पर टूटा करती,
हमने छुट्टी पा ली।

इस प्रकार का शांत समापन
कौन नही दिल से चाहेगा?
मर जाना-सोना-सो जाना!
लेकिन शायद स्वप्न देखना!

अरे यहीं पर तो कांटा है
जब हम इस माटी के चोले को तज देंगे,
मृत्यु गोद मे जब सोएंगे,
तब क्या- क्या सपने देखेंगे!

अरे वही तो हमे रोकते!
इनके ही भय से तो दुनिया
इतने लंबे जीवन का संत्रास झेलती,

वरना सहता कौन?

समय के कर्कश कोड़े,
जुल्म ज़ालिमों का
घमंड घन घमंडियो का,
पीर प्यार के तिरस्कार की,
टालमटोली कचहरियों की,
गुस्ताख़ी कुर्सीशाही की
और घुड़कियाँ,

जो नालायक
लायक लोगो को देते हैं,

जबकि 
एक नंगी कटार से 
वो सब झगड़ो से 
छुटकारा पा सकता था।

कौन भार ढोता?
जीवन का जुआ खींचता?
करता --
अपना खून -पसीना 
रात दिन एक---

किसी तरह का 
अगर न मरने पर डर होता!

वो अनजाना देश, 
जहां से कभी लौटकर!
कोई पथिक नहीं आता है।

मन भरमाता
वहां पहुँचने पर 
जाने क्या पड़े भोगना।

इस भय से हम दुःख 
यहाँ के सहते जाते

ये शंका हमलोगों
को डरपोक बनाता---

और हमारे निश्चय की
स्वाभाविक दृढ़ता में
इन कच्चे खयालों से
ढुलमुलपन आता---
और योजनाएँ?

महत्व की ,धाराओं सी!
पहुंच न सागर को
मरुस्थल में सो जाती है।
कामरूप में कभी नही
परिणत हो पाती
धीमे बोलूँ!
यह क्या सुंदर
ऑफीलिया है?
देवि!
प्रार्थना में भी 
मेरे अपराधों की 
क्षमा मांगना भूल न जाना।
--------
हरिवंशराय बच्चन

Comments

Popular posts from this blog

आपबीती

हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहाँ दम था. मेरी हड्डी वहाँ टूटी, जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.  मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला, उसका पेट्रोल ख़त्म था. मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया, क्योंकि उसका किराया कम था. मुझे डॉक्टरोंने उठाया, नर्सों में कहाँ दम था.  मुझे जिस बेड पर लेटाया, उसके नीचे बम था. मुझे तो बम से उड़ाया, गोली में कहाँ दम था.  मुझे सड़क में दफनाया क्योंकि कब्रिस्तान में  जश्न था।  हिजडे़ वो नहीं जो साडी़ पहनकर ताली बजाते घूमते रहते है ,  हिजडे़ वो है जो सरकार के पक्षपाती  गलत निर्णय का विरोध करने के बजाय ताली बजाते है ।  नैनो मे बसे है ज़रा याद रखना, अगर काम पड़े तो याद करना, मुझे तो आदत है आपको याद करने की, अगर हिचकी आए तो माफ़ करना....... दुनिया वाले भी बड़े अजीब होते है  कभी दूर तो कभी क़रीब होते है।  दर्द ना बताओ तो हमे कायर कहते है और दर्द बताओ तो हमे शायर कहते है...... लड़की की हल्की सी मुस्कुराहट को प्यार का एहसास समझ लेते है ये वही लोग है साहेब,  जो शौचालय को विकास समझ लेते है। ...

व्यथा

लाइट्स,,,, कैमरा,,,,, ऐक्शन,,,, और वो शुरू हो जाता है.. कभी सोचा है ,,वो कलाकार जो टीवी के ज़रिए लोगों के ड्रॉइंग रूम.. बेडरूम,, यहां तक कि आपके  दिलों तक पहुंच जाते हैं... हंसते हुए.. गाते हुए.. नाचते हुए,  सबका मनोरंजन करते रहते हैं.. बिना थके.. बिना रुके.. बिना शिकायत करे..बिना नियम के,, दिन हो या रात लगातार शूटिंग करते हैं.. पर अब तो सब बंद है.. अब शूटिंग नहीं हो रही.. जानते हैं अब वो सब क्या कर रहे हैं,,? अब डर रहे हैं.. उनके चेहरे से हंसी गायब है.. गाने की हिम्मत नहीं हो रही.. पैर थिरकने की बजाए सुन्न पड़े हैं.. आगे क्या होगा.. ? ज़िंदा कैसे रहेंगे..? दूध का बिल.. महीने का राशन.. घर का किराया.. बिजली का बिल.. गैस का बिल.. बच्चों की फ़ीस...और भी ढेर सारी ज़िम्मेदारियों का क्या होगा ,,,? वो डरा हुआ है ,,,,क्यों,,,? क्यूंकि उसकी  भी एक सामान्य इंसान जैसी ज़रूरतें होती हैं..। आप कहेंगे कि डर कैसा.. शूटिंग शुरू होगी तो सब सामान्य हो जाएगा.. और लोगों के काम भी तो बंद हैं.. वो लोग भी अपने ऑफिस.. अपनी दुकान.. अपनी फैक्टरी खुलने का इंतजार कर रहे हैं.. जैसे ही सब खुलेगा.. काम ...