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आगे बढ़ते हैं

साहब का आदेश
मानते हुए
बीस लाख करोड़ के शून्यों
को गिनते हुए

पैदल पैदल चलते हैं
चलो
आगे बढ़ते हैं

नौकरी की जगह टोकरी
इलाज की जगह बीमारी
मुक्ति की जगह भक्ति
लघु की जगह महाशक्ति

भूख से यारी करते हैं
चलो आगे बढ़ते हैं।
शिक्षक नही विश्वगुरु
छात्र नही युवा
छटनी नही आत्मनिर्भर
शिकायत नही राष्ट्रद्रोह।

स्व नही देश
शर्म नही गर्व।
हम किसी से नही डरते है
चलो आगे बढ़ते है।




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